Sati: सोलह शृंगार कर सजी रूप, पति का सिर गोद में रख चिता पर बैठी, फिर आग की लपटों में घिरी, सती कांड की कहानी

Sati: सोलह शृंगार कर सजी रूप, पति का सिर गोद में रख चिता पर बैठी, फिर आग की लपटों में घिरी, सती कांड की कहानी

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रूप कंवर सती केस पूरी कहानी: रूप कंवर सती कांड देश को झकझोर देने वाले बड़े मामलों में से एक हैं। सती कांड 4 सितंबर 1987 को राजस्थान के सीकर जिले के एक छोटे से गांव दिवराला में हुआ था। इस कारण इसे दिवराला सती रूप कंवर कांड के नाम से भी जाना जाता है। पढ़िए, तब क्या हुआ था।


पढ़िए, राजस्थान के सती कांड की पूरी कहानी।
– फोटो : अमर उजाला

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रूप कंवर सती: राजस्थान के सीकर जिले में पति की चिता के साथ जली रूप कंवर की मौत को देश का आखिरी सती कांड माना जाता है। चार सितंबर 1987 को हुए इस सती कांड में बीते दिन यानी 9 अक्तूबर को जयपुर की एक विशेष अदालत ने फैसला सुनाया। जिसमें अदालत ने सभी आठ आरोपियों को दोष मुक्त करार दिया। इस मामले में अब तक 11 लोग बरी हो चुके हैं। सती कांड में भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र राठौड़ को भी आरोपी बनाया गया था। इस घटना के बाद 1987 में ही ‘सती (रोकथाम) अधिनियम’ पारित किया गया था। जानिए, जानते हैं रूप कंवर सती कांड की पूरी कहानी, जिसने देश को हिला कर रख दिया था।

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रूप कंवर सती कांड राजस्थान ही नहीं देश को झकझोर देने वाले बड़े मामलों में से एक हैं। सती कांड 4 सितंबर 1987 को  राजस्थान के सीकर जिले के एक छोटे से गांव दिवराला में हुआ था। इस कारण इसे दिवराला सती रूप कंवर कांड के नाम से भी जाना जाता है। 18 साल की रूप कंवर की शादी को सात महीने हुए थे। रूप कंवर का पति मालसिंह शेखावत बीएससी की पढ़ाई कर रहा था और ससुर सुमेर सिंह एक शिक्षक थे। वहीं, रूप कंवर के पिता ट्रक ड्राइवर थे। शादी के सात महीने बाद मालसिंह शेखावत की तबीयत बिगड़ गई। गंभीर रूप से बीमार होने पर मालसिंह को सीकर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस दौरान रूप कंवर अपने मायके में थी, पति की खराब तबीयत की जानकारी मिलने पर वह अपने पिता और भाई के साथ मायके से सीधी अस्पताल पहुंची। रूप को पति के पास छोड़ पिता और भाई वापस चले लगे। लेकिन, मालसिंह की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी, इसके चलते उसकी मौत हो गई।

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