Lohri 2025: लोहड़ी पर क्‍यों बांटा जाता है मूंगफली का प्रसाद? दिल की सेहत से लेकर झुर्रियां तक, अनग‍िनत हैं फायदे

Lohri 2025: लोहड़ी पर क्‍यों बांटा जाता है मूंगफली का प्रसाद? दिल की सेहत से लेकर झुर्रियां तक, अनग‍िनत हैं फायदे

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आखरी अपडेट:13 जनवरी 2025, 11:45 IST

Explainer- मूंगफली को हेल्दी नट्स माना जाता है जिसे सर्दी में बहुत शौक से खाया जाता है. इसे टाइमपास करने का तरीका भी माना जाता है. मूंगफली में बादाम जैसी ताकत होती है. लोहड़ी पर खासकर इसकी पूजा होती है. इसे बहुत शुभ माना जाता…और पढ़ें

आज 13 जनवरी है और इस दिन लोहड़ी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. जिस कपल की शादी या बच्चा होने के बाद पहली लोहड़ी होती है, उनके घर इस दिन शादी की तरह दावत होती है और बड़ी संख्या में मेहमान बुलाए जाते हैं. लोहड़ी पवित्र त्योहार है और इस दिन मूंगफली का बहुत महत्व है. इसके बिना लोहड़ी की पूजा अधूरी मानी जाती है.

मूंगफली डालकर होती है परिक्रमा
लोहड़ी पर आग जलाकर पंजाबी समुदाय के लोग ‘सुंदर मुंदरिये हो…तेरा कौन विचारा हो’  गीत गाते हैं और अग्नि की परिक्रमा कर उसमें मूंगफली डालते हैं. मूंगफली को प्रकृति का प्रसाद माना जाता है और इस दिन अग्नि में इसे डालकर भगवान से प्रार्थना की जाती है कि घर में खुशियां बनी रहें, परिवार स्वस्थ रहे, घर में तरक्की हो और फसल अच्छे से उगे. यही नहीं, पूजा के बाद मूंगफली को रिश्तेदारों और पड़ोसियों के बीच प्रसाद के तौर पर बांटा भी जाता है.

सर्दी में खाना फायदेमंद
डायटीशियन ललिता गुप्ता कहती हैं कि मूंगफली की तासीर गर्म होती है. ऐसे में ठंड में यह शरीर को गर्म रखती है. इसमें अच्छी मात्रा में प्रोटीन और हेल्दी फैट होता है. यह विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होती है. इसे खाने से शरीर को एनर्जी मिलती है और मेटाबॉलिज्म दुरुस्त रहता है. इसमें विटामिन ई की मात्रा ज्यादा होती है जिससे चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती . मूंगफली खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल यानी LDL का लेवल कम होता है जिससे दिल की सेहत अच्छी रहती है.

मूंगफली का निकनेम Goober है. यह शब्द अफ्रीका में बोला जाता है (Image-Canva)

मूंगफली हमेशा दिन में खाएं
मूंगफली को हमेशा सुबह या दोपहर में खाना चाहिए. एक दिन में 42 ग्राम मूंगफली यानी 16 से 20 मूंगफली खाना ठीक रहता है. इसे भिगोकर या भूनकर खाना ठीक है. इसे ज्यादा मात्रा में खाया जाए तो बॉडी फैट बढ़ सकता है. एलर्जी भी हो सकती है. प्रेग्नेंट महिलाओं को इसे खाने से बचना चाहिए.

मूंगफली नट्स नहीं है
मूंगफली की तुलना बादाम से की जाती है. बादाम ड्राईफ्रूट है और बहुत से लोग मूंगफली को भी नट्स ही मानते हैं. इसे गरीबों का मेवा भी कहा जाता है. लेकिन मूंगफली नट्स की श्रेणी में नहीं आती. यह फली है यानी  legumes. यह दाल, राजमा, मूंग, चने, सोयाबीन, मटर की फैमिली का हिस्सा है.

जानवरों का चारा समझी जाती थी
नेशनल पीनट बोर्ड के अनुसार मूंगफली की खोज 7600 साल पहले हुई. तब इसे जंगली पौधा माना जाता था. मूंगफली का पौधा पेरू में मिला. ऐसा माना जाता है कि लोग मूंगफली को मृत लोगों के साथ दबाते थे. यह बलिदान का प्रतीक था. ब्राजील में जनजातियां मक्के के साथ मूंगफली को पीसकर ड्रिंक के तौर पर पीती थीं. इसके बाद मूंगफली स्पेन पहुंची . 1700 में उत्तरी अमेरिका में मूंगफली को अफ्रीकी व्यापारियों ने पहुंचाया. इससे पहले यहां इसे जानवरों का खाना समझा जाता था. इसके बाद ही इसका कमर्शियल इस्तेमाल बढ़ा. अमेरिकन सिविल वॉर में सैनिक मूंगफली ही खाते थे क्योंकि यह इसमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है.

सर्कस के बाहर लगने लगीं मूंगफली के रेहड़ी
आज हर सड़क पर सर्दी शुरू होते ही गर्मागर्म मूंगफली की रेहड़ी लग जाती है. इसकी रेहड़ी लगने का दौर 1800 में अमेरिका में शुरू हुआ. तब ट्रेन में एक सर्कस लगता था जिसका नाम PT Barnum’s circus था. यह सर्कस ट्रेन से पूरे देश में घूमकर लोगों का मनोरंजन करता था. जब सर्कस शुरू होता तो ट्रेन के डिब्बे के बाहर सड़कों पर मूंगफली की रेहड़ियां लग जाती थीं. इसके बाद यह रेहड़ियां बास्केटबॉल मैच के दौरान स्टेडियम के बाहर भी लगने लगीं.

अमेरिका के 6 शहर पीनट के नाम पर हैं (Image-Canva)

बुजुर्ग मरीजों के लिए बना पीनट बटर
1895 में मूंगफली से बना पीनट बटर बनाया गया. इसे अमेरिका के डॉ. जॉन हार्वे कैलॉग्स ने बनाया. इस बटर को 1904 में सेंट लुइस वर्ल्ड फेयर में पेश किया गया. दरअसल इस बटर को बुजुर्ग मरीजों के बनाया गया जो अपने मुंह से मीट नहीं खा पाते थे. पीनट बटर में प्रोटीन अच्छी मात्रा में होता है इसलिए इसे मीट की जगह मरीजों को देने का विचार किया गया. हालांकि यह इतना पॉपुलर हो गया कि इसे अमेरिकी सैनिक पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में अपने साथ ही ले जाते थे.

हीरा भी बन सकता है!
जर्मनी के वैज्ञानिकों ने मूंगफली पर रिसर्च और पाया कि अगर पीनट बटर को 3 हजार डिग्री के तापमान और 50 लाख पाउंड पर स्क्वेयर इंच के प्रेशर से दबाया जाए तो यह हीरे में बदल जाता है. दरअसल पीनट बटर में कार्बन होता है. हीरा कार्बन से ही बनता है. इस बटर से डायमंड को बनाने की बहुत लंबी और गंदी प्रक्रिया है जिसमें बहुत हाइड्रोजन रिलीज होती है.

मूंगफली से हो सकती है एलर्जी
मूंगफली एलर्जी का कारण बन सकती है. इसे खाने से गले में सूजन आ सकती है जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है. कई बार मूंगफली में सफेद जाले जैसा मोल्ट भी पाया जाता है जिससे एफलाटॉफिन पॉइजनिंग हो सकती है. इससे भूख लगनी बंद हो जाती है, आंखें पीली होने लगती है और लिवर फेल होने का खतरा रहता है. कई बार यह लिवर के कैंसर का कारण भी बन सकती है. मूंगफली में तेल ज्यादा होता है इसलिए इसके बाद आइसक्रीम खाना, दूध पीना, लस्सी पीना, फल खाना या चाय पीना नुकसानदायक हो सकता है.

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