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International coffee day: भारत में क्यों हुई कॉफी की तस्करी? क्यों महिलाएं लेती थीं कॉफी न मिलने पर तलाक?
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दुनियाभर में लोगों की ‘गुड मॉर्निंग’ कॉफी से होती है. कोई ब्लैक कॉफी पसंद करता है तो कोई दूध वाली कॉफी. कॉफी किसी भी समय और हर मौके पर पी जा सकती है. लगभग हर देश के लोग कॉफी के दीवाने हैं. यह कॉफी के प्रति लोगों का प्यार ही है कि हर सड़क पर एक कॉफी शॉप जरूर दिख जाती है. कॉफी ना केवल पीने में टेस्टी होती है बल्कि यह कई तरह की बीमारियों से भी बचाती है. आज इंटरनेशनल कॉफी डे है. इस मौके पर जानते हैं कॉफी की कहानी:
कहवा से बनी कॉफी
‘कॉफी’ अंग्रेजी भाषा का शब्द है जो कहवा से बना. अंग्रेजी में इस शब्द को 1582 में जोड़ा गया. इस पेय पदार्थ को अरबी भाषा में कहवा कहा गया जिसका मतलब है वाइन क्योंकि यह गहरे रंग की होती है. तुर्की में इसे कहवेह बोला गया और जब यह डच में पहुंची तो कोफी बन गई और इसके बाद अंग्रेजी ने इसे कॉफी बना दिया.
कॉफी की कई कहानियां
कॉफी की खोज कब हुई यह कोई नहीं जानता लेकिन इसके पीछे कुछ कहानियां जुड़ी हुई हैं. काहुए या कैफ़े नामक स्वास्थ्यप्रद पेय पर एक प्रवचन (रोम, 1671) नाम की किताब में पहली बार कॉफी का जिक्र मिला. माना जाता है कि इथियोपिया में 9वीं शताब्दी के दौरान एक बकरी चराने वाले काल्दी को कॉफी के बीज मिले थे. वह अपनी बकरियों को चराने निकला था. एक बकरी उसे अजीब तरीके से कूदती दिखी. वह तेज-तेज आवाज भी कर रही थी. जब गड़रिया उस बकरी के पास गया उसे जमीन पर कुछ लाल रंग के बेर जैसे बीज दिखे. यह बीज एक पौधे में लगे हुए थे. उसने वह बीज चखा तो उसे शरीर में अलग सी ऊर्जा महसूस हुई. काल्दी यह बीज सूफी के मठ लेकर पहुंचा. सूफी संत ने इसे गर्म पानी में पकाया और पीया तो यह पेय पदार्थ उनके लिए रात में इबादत के लिए जागने का एक जरिया बन गया. वहीं, एक कहानी के अनुसार कॉफी का पेड़ यमन में 1450 में लगा मिला. कुछ लोगों का मानना है कि इथियोपिया से कॉफी यमन में व्यापारियों के जरिए पहुंची. सूफी संतों के बीच कॉफी बहुत पॉपुलर हो गई थी.
कई सेलिब्रिटी घी कॉफी पीना पसंद करते हैं (Image-Canva)
तस्करी के जरिए भारत पहुंची कॉफी?
16वीं सदी तक कॉफी पूरे मिडिल ईस्ट देशों और उत्तरी अफ्रीका में पहुंच चुकी थी लेकिन भारत में कॉफी स्मगलिंग के जरिए पहुंची. बाबा बुदान नाम के सूफी कॉफी के 7 बीज अपनी छाती पर बांधकर यमन से भारत पहुंचे थे. तस्करी के जरिए भारत पहुंचे कॉफी के बीज को सबसे पहले कर्नाटक के मैसूर में बोया गया. आज कर्नाटक के ही कुर्ग, चिकमंगलूर, केरल के वायनाड, मुन्नार और आंध्र प्रदेश के अरकू वैली में कॉफी के बागान है, जहां से देश-विदेश में कॉफी की सप्लाई की जाती है.
कॉफी और तलाक
तुर्किये में कॉफी लोगों की जिंदगी है. साल 1401 से 1500 में तुर्किये (तुर्की) में एक कानून बना जिसमें महिला अपने पति को सिर्फ इस आधार पर तलाक दे सकती थीं कि उन्हें ठीक तरह से कॉफी नहीं मिलती. इसी तरह लड़की कितनी अच्छी कॉफी बना सकती है, उसकी यह काबिलियत देखकर ही रिश्ते जोड़े जाते थे. हालांकि अब यह कानून खत्म किया जा चुका है.
7 तरह के कॉफी बीन
कॉफी बीन 7 तरह के होते हैं. अराबिका बीन्स थोड़े मीठे और कम कैफीन वाले होते हैं. इसमें 0.8% से 1.4% ही कैफीन होता है. इनसे अधिकतर ब्लैक कॉफी बनती है. वहीं रोबस्टा सस्ते और कड़वे भी होते हैं. इनमें कैफीन की मात्रा भी ज्यादा होती है. इन्हें एक्सप्रेसो और इंस्टेंट कॉफी मिक्स बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा लिबेरिका, एक्सिलसा, टायपिका, गेशा और बोरबन बींस भी पॉपुलर हैं.

साउथ ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी की स्टडी के अनुसार जो लोग रोजाना 3 से 5 कप एस्प्रेसो पीते हैं, उनका कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है (Image-Canva)
दुनिया की अनोखी कॉफी
कैपेचीनो, लाते, एक्सप्रेसो, कोल्ड कॉफी जैसी कॉफी तो हर किसी ने पी होगी लेकिन दुनिया में ऐसी कई तरह की कॉफी है जो अपने आप में अनोखी हैं. फूड ब्लॉगर अदनान खान कहते हैं कि वियतनाम की एग कॉफी अपने आप में यूनीक है. यहां कॉफी में दूध की जगह अंडा डाला जाता है. तुर्किये की टर्क कहवेशी दुनिया भर में फेमस है. यहां गर्म मिट्टी में कॉफी बनाई जाती है. इसी तरह मिडिल ईस्ट देशों में लकड़ी की आंच पर कॉफी तैयार की जाती है जिसे खजूर के साथ पीया जाता है. इटली की एक्सप्रेसो रोमानो कॉफी नींबू के स्लाइज के साथ दी जाती है. मोरको में कॉफी में गर्म मसाले डाले जाते हैं और इसे स्पाइज्ड कॉफी कहा जाता है.
कॉफी कई बीमारियों का करती इलाज
जिन लोगों का ब्लड प्रेशर लो रहता है उन्हें कॉफी पीने की सलाह दी जाती है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी एक स्टडी के अनुसार कॉफी गट बैक्टीरिया को दुरुस्त रखती है जिससे पाचन क्रिया में सुधार आता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. एंटीऑक्सीडेंट्स होने की वजह से यह बॉडी में फ्री रेडिकल्स को खत्म करती है जिससे गंभीर रोग नहीं होते. कॉफी पीने से मोटापा और कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है.
दूध के साथ ना पीएं कॉफी
दुनिया में कहीं भी कॉफी में दूध नहीं डाला जाता लेकिन भारत में इसका चलन है. दूध से कॉफी के गुण खत्म हो जाते हैं. क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार दूध में लैक्टोज प्रोटीन और कैल्शियम होता है. जब यह कॉफी के कैफीन से मिलता है तो इससे पेट से जुड़ी समस्या होने लगती है. कुछ लोगों को कॉफी पीने के बाद उल्टी, सिरदर्द, गैस या पेट में जलन या भारीपन की शिकायत होने लगती है. वहीं कॉफी में चीनी भी नहीं डालनी चाहिए. एक कप कॉफी में 120 मिलीलिटर तक कैफीन होता है इसलिए इसे दिन में 2 कप से ज्यादा नहीं पीना चाहिए.
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पहले प्रकाशित : 1 अक्टूबर, 2024, 4:05 अपराह्न IST
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