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शादी से पहले हर कपल के लिए क्यों जरूरी है प्री मैरिज काउंसलिंग? क्या इससे डिवोर्स नहीं होता?
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पिछले दिनों रिया चक्रवर्ती के पॉडकास्ट में शिबानी डांडेकर पहुंचीं. इंटरव्यू में शिबानी ने बताया कि शादी के बाद उन्होंने और फरहान अख्तर ने कपल्स थेरेपी ली थी. वहीं, आमिर खान की एक्स वाइफ किरण राव ने भी अपने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि उन्होंने शादी से पहले आमिर के साथ कपल्स थेरेपी ली और इससे काफी फायदा हुआ. हमारी सोसाइटी में अक्सर थेरेपी को प्रॉब्लम से जोड़ा जाता है. लेकिन जरूरी नहीं कि अगर रिश्ते में कोई दिक्कत हो तभी कपल्स को थेरेपी लेनी चाहिए. हर कपल के लिए यह जरूरी है ताकि उनका रिश्ता हमेशा मजबूत रहे. भारत में कपल्स थेरेपी का ट्रेंड पिछले 3-4 सालों में बढ़ा है.
कोई भी रिश्ता परफेक्ट नहीं होता
गुरुग्राम के डीजीएस काउंसलिंग सॉल्यूशन में रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ.गीतांजलि शर्मा कहती हैं कि कोई भी रिश्ता 100% परफेक्ट नहीं होता क्योंकि इंसान भी परफेक्ट नहीं होते. कपल्स थेरेपी हर कपल के लिए जरूरी है क्योंकि हर रिश्ते में सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है और दो इंसान कभी एक जैसे नहीं हो सकते. शादी क्या होती है, यह हर कपल को जानना जरूरी है. इस थेरेपी को शादी से पहले लेना फायदेमंद है.
शादी का मतलब बताया जाता है
कपल्स थेरेपी का मकसद केवल शादी को बचाना नहीं है. बल्कि यह समझाना है कि शादी कोई बोझ या जिम्मेदारी नहीं है, यह एक खुशियों से भरा जिंदगीभर का साथ है. कपल्स थेरेपी में कपल्स से कुछ कंपैटिबिलिटी से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं. उनसे कुछ एक्टिविटी कराई जाती हैं. कुछ टॉपिक्स पर बोलने को कहा जाता है ताकि उनके बीच कम्यूनिकेशन बढ़े. इस दौरान उन्हें टाइम मैनेजमेंट बताया जाता है. एक-दूसरे के साथ कैसे बर्ताव करना है, इसके टिप्स दिए जाते हैं. उनसे कहा जाता है कि टाइम एक साथ बिताने के कुछ रूल्स बनाएं जैसे हफ्ते में एक दिन बाहर डेट पर जाएं, हर रोज एक घंटा बिना पेरेंट्स, बिना फोन और बिना दोस्तों के साथ साथ गुजारे. गुड मॉर्निंग, गुड नाइट, आई लव यू, आई मिस यू जैसे मैजिकल शब्द और हग, किस, डेटिंग क्यों जरूरी है.
कपल्स थेरेपी लेने से डिप्रेशन जैसी बीमारी दूर रहती है (Image-Canva)
शादी से पहले हो कपल्स थेरेपी
डॉ.गीतांजलि शर्मा के अनुसार शादी से पहले हर कपल के लिए प्रीमैरिटल काउंसलिंग जरूरी है. अंग्रेजी में एक कहावत है Prevention is better than cure यानी पहले से ही सावधानी बरतना अच्छा है. शादी में यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है. अगर शादी अच्छे से नहीं चल पाती तो कपल्स डिवोर्स तक पहुंच जाते हैं. इसकी नौबत ही ना आए इसके लिए शादी से पहले कपल्स थेरेपी बहुत जरूरी है. इसमें कपल्स को शादी का मतलब और भविष्य में आने वाले चैलेंज के बारे में बताया जाता है. साथ ही कपल्स को एक-दूसरे को समझने का मौका मिलता है. प्यार करने और शादी करने में बहुत फर्क होता है. कपल्स थेरेपी में व्यक्ति अपने पार्टनर को कितना समझता है, दोनों की एक-दूसरे के प्रति क्या कमिटमेंट हैं, वह एक दूसरे से क्या उम्मीद करते हैं, उनके फ्यूचर प्लान क्या है, उनकी शादी में क्या मुश्किलें आ सकती हैं और इसके लिए उनका क्या एक्शन प्लान रहेगा, इन सब पर खुलकर बात होती है. कपल की प्री मैरिटल काउंसलिंग, उन्हें शादी को खूबसूरत कैसे बनाया जाए, इसका पाठ पढ़ाती है.
शादी का मैनुअल है कपल्स थेरेपी
कपल्स थेरेपी शादी का मैनुअल या टूलबॉक्स है. यानी अगर कपल के बीच प्रॉब्लम आए तो वह किसी भी सिचुएशन को बहुत स्मार्ट तरीके से हैंडल कर सकता है और उसे दूर कर सकता है. कपल्स थेरेपी शादी की दिक्कतों या कमियों को दूर करने का रामबाण इलाज है. इससे कपल्स को शादी की गाइडलाइन मिल जाती हैं कि उन्हें हर हालात में अपने पार्टनर के साथ कैसा बर्ताव करना है और रिश्ते को कैसे रिपेयर और रिफ्रेश करना है.
पुराने रिश्तों का उतारा जाता है बोझ
शादी से पहले कई लोग दूसरे रिलेशनशिप में रहे होते हैं. वह उस रिश्ते से कई बार बहुत नेगेटिव हो चुके होते हैं. थेरेपी में उनके दिल से उस बोझ को दूर किया जाता है. कुछ लोग अपने आसपास खराब शादियों को देखकर नेगेटिव नजरिया रखते हैं. उनके नजरिए को पॉजिटिव बनाया जाता है. शादी से पहले जब दो लोग आपस में जुड़ने वाले होते हैं, उनका कल्चर, उनकी भाषा, उनका नजरिया, उनका बैकग्राउंड बहुत अलग-अलग होता है. इसलिए प्रीमैरिटल काउंसलिंग में कपल्स को कम्यूनिकेशन को बेहतर बनाने के गुर सिखाए जाते हैं ताकि वह एक-दूसरे के प्रति कंपैटिबल बन पाएं.

दुनियाभर के मुकाबले भारत में तलाक की दर 1% है (Image-Canva)
हर खुशहाल कपल खुश नहीं होता
कुछ लोग कपल्स का हंसता मुस्कुराता चेहरा देख सोचते हैं कि उनकी शादी परफेक्ट है. लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है. हर कपल के बीच कभी ना कभी कोई चैलेंज जरूर आते हैं और हर चैलेंज के लिए इंसान हमेशा तैयार नहीं हो सकता. कुछ शादियों में कपल अपनी भावनाओं को दबाकर रिश्ते को निभाते हैं. वह खुश नहीं होते लेकिन लंबे समय से शादी को चला रहे होते हैं. ऐसे में कपल्स थेरेपी ली जाए तो उनकी शादी में काफी हद तक सुधार हो सकता है.
कपल्स के बीच हजारों दिक्कतें
लड़के तो कई बार लड़कियां अपने रिश्ते को लेकर बहुत इनसिक्योर होती है. कपल्स के बीच कभी कुलीग, कभी दोस्त तो कभी एक्स को लेकर झगड़े हो जाते हैं. कई बार सास-बहू या सास-जमाई के रिश्ते कड़वे होते हैं जिससे शादी पर असर पड़ता है, कुछ कपल्स एडजस्ट नहीं करना चाहते हैं, कई बार पार्टनर की स्मोकिंग या ड्रिंक करने की आदत झगड़े की वजह बनती है. कई बार कपल्स में यह मुद्दा बन जाता है कि उन्हें एक सामान इज्जत नहीं मिल रही. कुछ लड़कियों को इससे दिक्कत होती है कि उनका हस्बैंड उन्हें समय नहीं देता, उनसे बात नहीं करता. इन सब बातों से शादी कमजोर होने लगती है. कपल्स थेरेपी से कपल्स इमोशनली, फिजिकली और सोशल रूप से मजबूत बनते हैं.
कपल्स डिवोर्स लेना समझते आसान
भारत में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. लेकिन जब कोर्ट में इसकी अर्जी डाली जाती है तो कपल्स को 6 महीने का वक्त दिया जाता है. इस बीच उनकी काउंसलिंग भी होती है. रिश्ता टूटने की कगार में हो तो कपल्स थेरेपी काम कर जाती है और रिश्ता बच जाता है लेकिन कई कपल्स इस थेरेपी को लेने की बजाए डिवोर्स लेना पसंद करते हैं. इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं जैसे उन्हें लग सकता है कि अब इस रिश्ते में कुछ नहीं बचा. इस समय कपल बहुत निगेटिव हो चुके होते हैं. वहीं कुछ को लगता है कि अब कुछ हल नहीं निकल सकता. कुछ को लगता है कि अगर थेरेपी ली तो खुद को सुधारना पड़ेगा तो क्यों मेहनत की जाए. दरअसल डिवोर्स ब्लेम गेम है जो खुद में सुधार लाने से ज्यादा आसान है. वहीं अब लोगों में सब्र नहीं है. वह छोटी-छोटी बातों पर शादी को तोड़ने और पार्टनर को छोड़ने के लिए तैयार रहते हैं.
टैग: पति पत्नी तलाक आवेदन, संबंध, रिश्तों की पार्टियाँ
पहले प्रकाशित : 8 अक्टूबर, 2024, 10:04 अपराह्न IST
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