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‘मैं रणबीर या शाहरुख नहीं हूं कि सैकड़ों स्क्रिप्ट्स मिलें’: रति अग्निहोत्री के बेटे तनुज विरवानी बोले- स्ट्रगल तो हमेशा रहता है, ओटीटी से बदली किस्मत
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2 घंटे पहलेलेखक: किरण जैन
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बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करना हर कलाकार के लिए एक लंबा सफर होता है। हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत में एक्टर तनुज विरवानी ने अपने करियर, संघर्ष, संतुष्टि और पिता बनने के अनुभव पर खुलकर बात की।
बता दें, तनुज ‘इनसाइड एज’, ‘कोड M’, ‘मुरशिद’ जैसे प्रोजेक्ट्स में नजर आ चुके हैं। हाल ही में वे फिल्म ‘लेट्स मीट’ में भी दिखाई दिए। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:

संघर्ष और संतुष्टि की कहानी
‘शुरुआत के 10-12 सालों में मैंने बहुत कुछ देखा। ऐसे मौके भी आए जब लगा कि अब बैग पैक कर लेना चाहिए और पापा के बिजनेस में लग जाना चाहिए। शुरुआती दो-तीन फिल्मों के बाद कुछ भी काम नहीं कर रहा था। वो दौर बहुत मुश्किल था। तब वेब सीरीज का सहारा भी नहीं था, सिर्फ फिल्में और टेलीविजन थे। लेकिन फिर ओटीटी प्लेटफॉर्म ने मुझे एक सेकंड इनिंग्स दी। ‘इनसाइड एज’ मेरे लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। उसके बाद से मुझे अलग-अलग जॉनर में काम करने का मौका मिला।’

आज जब पीछे मुड़कर देखते हैं, तो क्या अपने सफर से संतुष्ट हैं?
‘संतुष्ट तो अभी भी नहीं हूं। भूख अभी भी बहुत है। इच्छा यही है कि अच्छे लोगों के साथ काम करूं और हर सेट पर जाकर कुछ नया सीखूं। मैं ट्रेन्ड ऐक्टर नहीं हूं, मैंने कहीं से भी एक्टिंग सीखी नहीं है। जो कुछ भी सीखा, दूसरों को देखकर, फिल्में देखकर, सेट पर रहकर सीखा। मेरे लिए जर्नी ही सबसे बड़ी सीख है। हर नया प्रोजेक्ट मेरे लिए एक नया चैलेंज होता है। मैं हर बार खुद को प्रूव करना चाहता हूं।’
कैरेक्टर चूज करने की प्रोसेस
तनुज के अब तक के करियर में अलग-अलग जॉनर की फिल्में और वेब सीरीज रही हैं। लेकिन क्या कोई स्पेशल जॉनर उन्हें ज्यादा पसंद है?
‘जहां पैसे मिलते हैं… (हंसते हुए) मजाक कर रहा हूं। सच कहूं तो मुझे हर तरह के किरदार पसंद हैं। अगर मैं किसी डार्क, नेगेटिव या साइकोटिक रोल को निभा रहा हूं, तो उसके बाद मैं कुछ हल्का, मजेदार करना पसंद करता हूं। जैसे ‘लेट्स मीट’ जैसी फिल्में। इससे संतुलन बना रहता है। अभी क्या है? मैं रणबीर कपूर या शाहरुख खान नहीं हूं कि मेरे सामने सैकड़ों स्क्रिप्ट्स रखी होती हैं। जो मौके मिलते हैं, उन्हीं में से सबसे अच्छा चुनने की कोशिश करता हूं। यह किसी भी एक्टर के लिए रोमांचक दौर है क्योंकि वेब स्पेस तेजी से बढ़ रहा है और सिनेमा के अलग-अलग फॉर्मेट्स पर खूब काम हो रहा है। रणबीर कपूर और रणवीर सिंह जैसे सुपरस्टार्स बड़े नाम हैं, लेकिन असली वजह यह है कि वे अपने किरदार निभाते हैं और इसी वजह से हम उन्हें पसंद करते हैं।’

फिल्म इंडस्ट्री में बदलाव और संघर्ष तनुज मानते हैं कि इंडस्ट्री में बदलाव आया है, लेकिन स्ट्रगल कभी खत्म नहीं होता।
‘ओटीटी ने काफी चीजें बदली हैं। अब हीरो वही नहीं होता, जिसे हर वक्त परफेक्ट दिखना होता है। अब आम आदमी भी हीरो बन सकता है। यही बदलाव मुझे पसंद है, क्योंकि अब किरदारों को निभाने का मौका मिलता है। लेकिन इंडस्ट्री में आपको हमेशा प्रोएक्टिव रहना पड़ता है। स्ट्रगल तो हमेशा रहता है। बस, आपको पता होना चाहिए कि कौन-कौन सी स्क्रिप्ट मार्केट में है, कौन-कौन से शोज या फिल्में बन रही हैं।
अगर आप अपने घर बैठकर सोचते हैं कि काम खुद चलकर आएगा, तो ऐसा नहीं होता। आपको लोगों से मिलना पड़ता है, ऑडिशन देना पड़ता है। मेरा मानना है कि जितना ज्यादा ऑडिशन देंगे, आपकी एक्टिंग उतनी ही निखरेगी। मुझे लगता है कि आजकल लोगों के पास चॉइस बहुत हैं। इसलिए हर ऐक्टर को अपने टैलेंट को लगातार निखारते रहना चाहिए।’

पिता बनने का अनुभव हाल ही में तनुज विरवानी पिता बने हैं, और इस बदलाव ने उनकी जिंदगी में एक नया नजरिया ला दिया है।
‘पिछले डेढ़ साल में जिंदगी बहुत तेजी से बदली है। मेरी शादी हुई और फिर मैं डैड बन गया। ये दुनिया की सबसे बेहतरीन फीलिंग है। मेरे दोस्त करण अंशुमान ने एक बार मुझसे कहा था कि जब तुम्हारी बेटी होगी, तो तुम्हारे अंदर एक नई क्रिएटिविटी खुल जाएगी। अब मैं खुद वो महसूस कर रहा हूं। ये एक डबल जिम्मेदारी है- परिवार के प्रति, पत्नी के प्रति और सबसे बढ़कर अपनी बेटी के प्रति। अब मेरे लिए जिंदगी सिर्फ मेरे करियर के बारे में नहीं है, बल्कि एक फुल-सर्कल बन गई है, जिसमें मेरा परिवार मेरी प्रायोरिटी बन गया है।’
क्या पिता बनने के बाद काम को लेकर कोई बदलाव आया?
‘हां, अब हमेशा घर जाने की जल्दी होती है। जब शूट पर होता हूं, तो पूरी तरह शूटिंग पर फोकस रहता हूं लेकिन मन में हमेशा यही होता है कि घर जाकर बेटी के साथ खेलूं, नैपिज बदलूं।
वर्क-लाइफ बैलेंस बहुत जरूरी है और मैं इस पर ध्यान दे रहा हूं। पहले करियर ही सब कुछ था, लेकिन अब मेरी फैमिली मेरी सबसे बड़ी ताकत है। मैं चाहता हूं कि जब मेरी बेटी बड़ी हो, तो उसे मुझ पर गर्व हो।’
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