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‘मैंने पापा की आंखों का कभी रंग नहीं देखा’ मर्दों की भावनाओं को दिखाता रणबीर कपूर का ये इंटरव्यू क्यों जरूरी है?
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रणबीर कपूर और निखिल कामथ पॉडकास्ट: रणबीर कपूर और एंटरपेन्योर निखिल कामथ के बीच हाल ही में एक लंबा पोडकास्ट हुआ, जिसकी चर्चा इस समय सोशल मीडिया पर बनी हुई है. रणबीर कपूर ने इस इंटरव्यू में अपने माता-पिता पर, शादी, रिश्तों, पत्नी, बेटी, फिल्मों जैसे कई विषय पर बात की है. चटपटे और स्केंडलिस्ट इंटरव्यू की दुनिया के बीच रणबीर और निखिल के बीच हुए ये पोडकास्ट बेहद खास है. उसकी वजह, रणबीर कपूर का अपनी निजी जिंदगी पर सिर्फ खुलकर बात करना नहीं है. बल्कि इस इंटरव्यू के दौरान पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य, संवेदनशीलता, बाप-बेटे के रिश्ते और व्यक्तिगत असुरक्षाओं (Personal Insecurities) जैसे कई टैबू विषयों पर बात की गई है. पिछले कुछ सालों में सिनेमा पर ‘अल्फा मेल’, मर्दानगी की अथाह दिखाने वाली फिल्मों में से एक का हीरो अपने इन बेहद नाजुक भावनाओं को खुलकर सामने रख रहा है.
पिता और बेटों के बीच की नजदीक-दूरियां
बेटे अपनी मां के ज्यादा करीब होते हैं और बेटियां अपने पिता के. ये बात हम सबने सुनी है, लेकिन बेटियों का प्यार पापा के लिए बरकरार रहता और अक्सर शादी के बाद जिंदगी की उथल-पुथल उन्हें मां के भी करीब कर देती है. लेकिन बेटों की पिता से बनी ये दूरी कभी नजदीकियों में बदल ही नहीं पाती. अपने पिता के बारे में बात करते हुए रणबीर कपूर ने कहा, ‘तुम्हें पता है, मैंने कभी अपने पिता की आंखों का रंग नहीं देखा. क्योंकि वो जब भी समाने होते थे, मेरी आंखे नीचे होती थीं. मैं उनसे इतना डरा रहता था.’ अपनी फिल्म ‘एनीमल’ का जिक्र करते हुए रणबीर ने कहा, ‘एनीमल में मैं अपने पिता के पीछे पागल था, लेकिन असल में मैं अपने पिता से बहुत डरता था. हालांकि वो कभी हमपर चिल्लाए नहीं, उन्होंने हमें मारा नहीं. लेकिन हमारे आसपास उनका गुस्सा इतना ज्यादा होता था कि हम डरे हुए रहते थे. यही वजह है कि बचपन से जब भी कोई मेरे आसपास चिल्लाता है तो मैं डिस्टर्ब हो जाता हूं. मेरे माता-पिता के बीच जब भी झगड़े होते थे, मैं हमेशा सीढ़ियों पर बैठा रहता था. मैंने ये सब देखा है इसलिए मैं हमेशा थोड़ा डरा सा रहता था.’ रणबीर बताते हैं कि मेरे पिता कभी अपनी भावनाओं को लेकर एक्सप्रेसिव नहीं थे इसलिए मुझे उनका नजरिया कभी समझ ही नहीं आया. हालांकि जब रणबीर से पूछा गया कि आखिर उनके पिता ऐसे क्यों थे, ये बात आपको समझ आई. इसपर उन्होंने कहा कि शायद उस जनरेशन के पुरुषों को ऐसे ही पिता बनना आता था.
अपनी बेटी राहा के साथ रणबीर कपूर
‘मर्द को दर्द नहीं होता, और वो रोता तो बिलकुल नहीं…’
सिनेमा ने ‘एंग्री यंग मैन’ और ‘मर्द को दर्द’ नहीं होता जैसी कई भावनाएं समाज में पोषित की हैं. मर्दों के लिए किसी के सामने अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त करना, या आंख के आंसू को दिखाना बहुत मुश्किल होता है. पुरुषों के लिए ये परिपाटी ऐसे तय की गई है कि कई बार भावुक पलों में भी पुरुष अपनी संवेदनशील भावनाएं नहीं रख पाते. रणबीर कपूर ने भी इस इंटरव्यू में बताया कि कैसे उनके पिता एक्टर ऋषि कपूर की मौत के वक्त वो रो ही नहीं पाए. एक्टर ने इस इंटरव्यू में बताया, ‘मेरी माँ के साथ मेरा रिश्ता बहुत अच्छा है, लेकिन मेरे पिता के साथ इतना अच्छा नहीं था. हालांकि उनके प्रति मेरा प्यार और सम्मान पूरा था. मैंने बहुत जल्दी रोना बंद कर दिया. ये सुनने में आपको अटपटा लगे लेकिन मैं अपने पिता के निधन पर नहीं रोया.’ रणबीर ने उस पल को भी याद किया, जब उनके पिता न्यूयॉर्क में इलाज के दौरान उनके सामने रोए. उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानता था कि मुझे उन्हें पकड़ना चाहिए या गले लगाना चाहिए… मैंने उस दूरी को महसूस किया. मुझे लगता है कि मुझे उस दूरी को खत्म करने और उन्हें थोड़ा प्यार देने का मौका नहीं मिला.’
रणबीर कपूर और निखिल कामथ के बीच हुई ये बातचीत पुरुषों की उनक बेहद नाजुक भावनाओं को खुलकर सामने रखती हैं, जिन्हें सोसायटी ने ‘रीति’ बनाकर थोपा हुआ है. रोती-धोती औरतों और हर दुश्मन से भिड़ने वाले हीरो को दिखाने वाली इन फिल्मों के पीछे पुरुषों की नाजुक भावनाओं और संवेदनशीलता को जैसे कहीं बंद कर रख दिया गय है. ऐसे संवाद पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी हैं. इस बातचीत में आप भावनाओं को व्यक्त करने, असुरक्षाओं, मानसिक स्वास्थ्य, और रिश्तों के डायनामिक्स पर खुली चर्चा हुई है, जो समझना बहुत जरूरी है.
टैग: आलिया भट्ट, नीतू कपूर, रणबीर कपूर, ऋषि कपूर
पहले प्रकाशित : 31 जुलाई 2024, 11:52 IST
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