ताहिर हुसैन की जमानत पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: दिल्ली दंगों के आरोपी को AIMIM ने कैंडिडेट बनाया; दिल्ली चुनाव के लिए बेल मांगी

ताहिर हुसैन की जमानत पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई:  दिल्ली दंगों के आरोपी को AIMIM ने कैंडिडेट बनाया; दिल्ली चुनाव के लिए बेल मांगी

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नई दिल्ली10 मिनट पहले

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ताहिर हुसैन पर दिल्ली दंगों को लेकर 11 FIR दर्ज हैं। ताहिर UAPA और मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी हिरासत में है।

सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच आज पूर्व पार्षद और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी। ताहिर हुसैन की याचिका पर जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई करेगी।

ताहिर ने दिल्ली चुनाव में प्रचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को मुस्तफाबाद सीट से नामांकन भरने के लिए ताहिर को कस्टडी पैरोल दी थी और चुनाव प्रचार के लिए जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

उन्हें ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्तफाबाद से कैंडिडेट बनाया है। वह दिल्ली दंगों के आरोप में 4 साल 9 महीने से जेल में बंद हैं।

22 जनवरी को ताहिर की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की 2 जजों की बेंच में सहमति नहीं बन पाई थी। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ताहिर को जमानत देने के पक्ष में थे, जबकि जस्टिस पंकज मित्तल ने याचिका खारिज कर दी।

जस्टिस मित्तल ने कहा था- जमानत देने से भानुमति का पिटारा खुल जाएगा

जस्टिस मित्तल ने कहा था कि अगर चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत दी तो इससे भानुमती का पिटारा खुल जाएगा। पूरे साल चुनाव होते हैं। हर कैदी दलील लेकर आएगा कि उसे चुनाव लड़ने के लिए जमानत दी जाए। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा था कि आरोपी मार्च 2020 से जेल में है। उसे प्रचार के लिए जमानत देनी चाहिए।

दिल्ली पुलिस की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट में कहा था कि ताहिर UAPA और मनी लॉन्ड्रिंग में भी आरोपी है। इस मामले में जमानत मिलने के बाद भी उसे जेल में ही रहना होगा। क्योंकि UAPA केस में चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं मिलती है।

सुप्रीम कोर्ट- जेल से चुनाव लड़ने पर रोक लगे

इस मामले में 20 जनवरी को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जेल में बंद सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। ताहिर की ओर से पेश एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने 21 जनवरी को कोर्ट से सुनवाई का अनुरोध किया था।

तब जस्टिस मित्तल ने कहा था-

उद्धरण

अब तो जेल में बैठकर चुनाव लड़ते हैं। जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है। इन सभी को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।

उद्धरण

ताहिर पर दंगे भड़काने, घर और ऑफिस की छत का दंगों के लिए इस्तेमाल करने और आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का भी आरोप है।

ताहिर पर दंगे भड़काने, घर और ऑफिस की छत का दंगों के लिए इस्तेमाल करने और आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का भी आरोप है।

हाईकोर्ट ने नामांकन के लिए कस्टडी पैरोल दी थी

ताहिर पर दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी 2020 को IB अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या करने का आरोप है। ताहिर ने चुनाव प्रचार के लिए हाईकोर्ट से 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत मांगी थी। 13 जनवरी को हाईकोर्ट ने कहा था कि नामांकन जेल से भी भरा जा सकता है।

इस पर ताहिर की वकील तारा नरूला ने तर्क दिया कि इंजीनियर रशीद को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। उनके खिलाफ टेरर फंडिंग का भी मामला चल रहा है।

ताहिर को एक राष्ट्रीय पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। वे अपनी सभी संपत्तियों का विवरण देने को तैयार हैं। उन्हें अपने लिए एक प्रस्तावक भी खोजना है और दिल्ली में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

मामले में ट्रायल शुरू हो चुका है और अब तक 114 गवाहों में से 20 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है। ऐसे में ट्रायल जल्द पूरी होने की उम्मीद नहीं है। ताहिर 4 साल 9 महीने से ज्यादा समय से हिरासत में है।

हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को ताहिर की कस्टडी पेरोल मंजूर की थी। 16 जनवरी को कड़ी सुरक्षा के बीच ताहिर तिहाड़ जेल से बाहर आए और नामांकन भरने के बाद वापस जेल चले गए थे। इसके बाद ताहिर जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

जानें क्या है दिल्ली दंगा

दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को शुरू हुआ दंगा 25 फरवरी को जाकर रुका था। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए इस दंगे में 53 लोगों की जान चली गई थी और 250 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

दिल्ली के जाफराबाद, सीलमपुर, भजनपुरा, ज्योति नगर, करावल नगर, खजूरी खास, गोकुलपुरी, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर समेत 11 पुलिस स्टेशन के इलाकों में दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया था। इस दंगे में कुल 520 लोगों पर FIR दर्ज की गईं थीं।

24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगें हुए थे। इसमें 53 लोगों की जान गई थी।

24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगें हुए थे। इसमें 53 लोगों की जान गई थी।

दंगों में लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल का आरोप

दिल्ली दंगा मामले में क्राइम ब्रांच ने कड़कड़डूमा कोर्ट में 2 चार्जशीट दाखिल की थीं। पहला केस चांद बाग हिंसा और दूसरा मामला जाफराबाद दंगे से जुड़ा था। पुलिस ने चांद बाग हिंसा मामले में ताहिर हुसैन को मास्टरमाइंड बताया था।

ताहिर के अलावा उनके भाई शाह आलम समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया था। चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि हिंसा के वक्त ताहिर हुसैन अपने घर की छत पर था और उसकी वजह से ही हिंसा भड़की थी।

ताहिर ने दंगे में अपनी लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल किया था। पुलिस के मुताबिक हुसैन ने दंगे से ठीक एक दिन पहले खजूरी खास पुलिस स्टेशन में जमा अपनी पिस्टल निकलवाई थी। जांच के दौरान पुलिस ने पिस्टल जब्त कर ली थी।

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