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‘क्योंकि सास…’ फेम अमर उपाध्याय को आई मां की याद: बोले- 22 साल बाद भी उनकी आवाज कानों में गूंजती है, रोज पूछती थीं- ‘क्या खाएगा?’
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10 घंटे पहलेलेखक: किरण जैन
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हाल ही में रिलीज हुई अपनी गुजराती फिल्म ‘मॉम तने नै समजाय’ के प्रमोशन के दौरान एक्टर अमर उपाध्याय भावुक हो गए। फिल्म मां और बच्चे के रिश्ते पर आधारित है, और जैसे ही इस बारे में बात हुई, अमर अपनी मां को याद करते हुए इमोशनल हो गए।
दैनिक भास्कर से बातचीत में, अमर ने बताया कि उनकी मां का निधन हुए 22 साल हो गए हैं। लेकिन आज भी उनसे जुड़ी छोटी-छोटी बातें उन्हें याद हैं।

22 साल बाद भी मां की आवाज आज भी कानों में गूंजती है
अमर उपाध्याय ने अपनी मां को याद करते हुए कहा, ‘आज 22 साल हो गए हैं, जब मेरी मां का निधन हुआ था। यह दिन हमेशा मुझे उनकी याद दिलाता है। जैसे ही शूटिंग के दौरान मनाली में था, मुझे उनकी मौत की खबर मिली। उस समय का दुख, शब्दों में बयां करना बहुत मुश्किल है। उनकी यादें और वो पल हमेशा मेरे साथ रहते हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘उनकी आवाज आज भी मेरे कानों में गूंजती है। वह रोज मुझसे यह सवाल करती थीं – बेटा, क्या खाएगा? और हर दिन वो मुझे फोन करके यही पूछती थीं। यह छोटी-छोटी बातें मुझे आज भी याद आती हैं। उनके बिना जीना बहुत मुश्किल था, लेकिन उनकी यादों ने मुझे हर कदम पर जीने की ताकत दी। मां का प्यार सबसे अनमोल होता है, और उनकी यादें कभी खत्म नहीं होती। वो हमेशा हमारे साथ रहती हैं, चाहे वो हमारे पास हों या न हों।’

फिल्म गुजराती और इंग्लिश मिक्स है
फिल्म के बारे में अमर ने बताया, ‘यह फिल्म एक गुजराती परिवार की कहानी है, जो लंदन में बसी हुई है। मैं एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन का रोल निभा रहा हूं, जबकि रश्मि देसाई मेरी पत्नी का किरदार निभा रही हैं। बच्चों को लेकर बार-बार समझाने का सिलसिला बढ़ता है, जिससे पत्नी थककर घर छोड़ देती है।
वह ‘मॉम ऑन रेंट’ बनकर उन बच्चों के साथ रहने जाती है जिनकी मां नहीं है। यह फिल्म मां की अहमियत और प्यार को एक नई तरीके से दिखाती है। फिल्म गुजराती और अंग्रेजी के मिश्रण में बनाई गई है, और इसकी शूटिंग लंदन और बर्मिंघम में हुई है।’

सिर्फ महिलाएं ही नहीं, पुरुष भी फिल्म देखकर रो रहे थे
उन्होंने आगे कहा, ‘जब आप बड़े होते हैं, तो कभी-कभी बचपन में मां से कहते हैं – ‘मम्मी, आपको नहीं समझ में आएगा।’ लेकिन फिल्म यही दिखाती है कि मां हमेशा समझ जाती है, चाहे हम कुछ भी कहें या ना कहें। मां एक ऐसी शख्सियत है जो बच्चों के दिल की बात बिना कहे ही समझ जाती है।
यह फिल्म इतनी खूबसूरत बनी कि देखने के बाद सब लोग, चाहे वो पुरुष हों या महिलाएं, इमोशनल हो गए थे। पुरुष भी रो रहे थे और मुझे यह देखकर बहुत ताज्जुब हुआ कि यह फिल्म इतनी गहरी और इमोशनल है।’

रश्मि देसाई काफी कोऑपरेटिव और फ्रेंडली हैं
बता दें, फिल्म में अमर के अपोजिट रश्मि देसाई नजर आ रही हैं। रश्मि के साथ काम करने के अनुभव पर अमर ने कहा, ‘उनके साथ काम का अनुभव बेहद अच्छा रहा। वह न केवल कोऑपरेटिव और फ्रेंडली हैं, बल्कि सेट पर हर वक्त तैयार और प्रोफेशनल रहती हैं। उनका काम करने का तरीका बहुत सुलझा हुआ है, जिससे सेट पर एक बेहतरीन माहौल बनता है।
प्रमोशन के दौरान भी हमने खूब मस्ती की, हंसी-मजाक की और धर्मेश भाई (डायरेक्टर धर्मेश मेहता) के साथ प्रमोशन किया। यह एक मजेदार और हेक्टिक अनुभव था, लेकिन बहुत अच्छा लगा।’

सेट पर लोग मेरी हालत देखकर हंसी उड़ा रहे थे
शूटिंग के दौरान एक मजेदार किस्सा बताते हुए, अमर ने कहा, ‘हम अप्रैल में शूटिंग कर रहे थे, और उस दिन का तापमान सिर्फ पांच डिग्री था, साथ ही तेज ठंडी हवाएं चल रही थीं। चूंकि यह मेरा पहला दिन था, मैंने बॉम्बे से थर्मल्स नहीं लाए थे। मैं सिर्फ शर्ट और सूट पहनकर गया था।
शूटिंग के दौरान मैं कांप रहा था, दांत किटकिटा रहे थे और डायलॉग भी सही से नहीं बोल पा रहा था। सब लोग मेरी हालत देखकर हंसी उड़ा रहे थे। अगले दिन मैंने अपनी पत्नी से कहा और थर्मल्स लेकर आया। अब मैं पूरी तैयारी के साथ था। तापमान फिर भी तीन-चार डिग्री ही था, लेकिन इस बार डबल थर्मल पहनकर काफी आरामदायक महसूस किया।’
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