ऐसा प्यार जिसमें नहीं जुड़ते दिल के तार, न खाई जाती साथ चलने की कसमें, क्यों यह रिश्ता बन रहा डिप्रेशन की वजह?

ऐसा प्यार जिसमें नहीं जुड़ते दिल के तार, न खाई जाती साथ चलने की कसमें, क्यों यह रिश्ता बन रहा डिप्रेशन की वजह?

[ad_1]

आखरी अपडेट:11 जनवरी, 2025, 3:25 अपराह्न IST

Explainer- बदलते जमाने के साथ रोमांस भी बदल रहा है. आज के युवा जिंदगी भर के लिए जीने-मरने की कसमें नहीं खाते. उन्हें रिलेशनशिप भी 2 मिनट की नूडल्स की तरह चाहिए यानी जो झटपट शुरू हो और जल्दी ही खत्म भी हो जाए. सोशल…और पढ़ें

एक वक्त था जब प्यार का इजहार खतों से होता था और महीनों तक जवाब का इंतजार किया जाता था. जो मोहब्बत शादी में बदल जाए, उसे बहुत बड़ी उपलब्धि समझा जाता था. हर कपल यही चाहता था कि उनका प्यार का रिश्ता शादी में बदले और वह 7 फेरे लेकर एक-दूसरे से 7 जन्मों तक साथ रहने का वादा करें. लेकिन अब दुनिया बदल चुकी है. रिलेशनशिप का मतलब भी बदल चुका है. आज के रिलेशनशिप 7 दिन पुराने हो जाएं तो बहुत ज्यादा वक्त समझा जाता है. सोशल मीडिया पर इन दिनों इसी तरह का रिलेशनशिप खूब चल रहा है. इसे Nanoship कहते हैं. यह रिलेशन बहुत ही कम समय के लिए होता है.

क्या होता है  Nanoship?
आजकल रिलेशनशिप के नए-नए नाम सुनने को मिल रहे हैं जिनमें से एक नैनोशिप भी है. नैनो का मतलब होता है छोटा और शिप का मतलब है रिलेशनशिप है. डेटिंग ऐप और सोशल मीडिया पर आज की जनरेशन Z इसे ही कूल समझ रही है. यह रिलेशनशिप डेटिंग ऐप, पार्टी, क्लब या किसी रेस्त्रां में बनता है जो कुछ मिनट या कुछ घंटे की बातचीत करने के बाद ही छूमंतर हो जाता है. यह रिश्ता कुछ दिन तक भी चल सकता है. इसे माइक्रो रिलेशिनशिप भी कहते हैं.

नैनोशिप ही ठीक लगता है
मशहूर डेटिंग ऐप टिंडर ने 2024 की ईयर इन स्वीप रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट के अनुसार युवाओं को कम समय के लिए रिलेशनशिप सबसे ज्यादा पसंद आया. ऐप ने यूके, यूएसए और ऑस्ट्रेलिया के 8 हजार लोगों के बीच स्टडी की जिसमें सामने आया कि रिश्ता कितना छोटा है, इससे उन पर कोई असर नहीं पड़ता. वह जल्दी-जल्दी नए लोगों के साथ डेट करना चाहते हैं. डिजिटल ऐज के इस रोमांस को ऐप ने नैनोशिप नाम दिया. यह टेक्स्ट मैसेज के तौर पर भी अप्लाई होता है. यानी किसी अजनबी को गुड मॉर्निंग का मैसेज भेजना, दिन भर उससे चैट करना और रात को गुड नाइट करने के बाद उस व्यक्ति को भूल जाना.

नैनोशिप कुछ मिनट, कुछ घंटे या कुछ दिन तक चलता है (Image-Canva)

बस एंजॉय करना है
नैनोशिप में गंभीरता नहीं होती. कभी-कभी तो दो लोग एक-दूसरा का नाम तक नहीं जानते. इस रिलेशनशिप में केवल लोग एंजॉय करने के लिए आपस में जुड़ते हैं. बातें होती हैं, साथ में घूमते-फिरते हैं और अचानक एक-दूसरे के लिए अनजान हो जाते हैं. इसमें ना दूसरे की पर्सनैलिटी को जानने की कोशिश होती है और ना ही भविष्य की प्लानिंग पर चर्चा होती है. वह अपने मन की बात भी एक-दूसरे से शेयर नहीं करते। बस कॉफी या स्नैक्स एंजॉय करते हैं और एक-दूसरे को बाय बोलकर निकल जाते हैं.

इमोशनल कनेक्शन नहीं होता
नैनोशिप में रोमांटिक फीलिंग आ सकती हैं लेकिन वह चंद दिनों की हो सकती है. यह रोमांस से ज्यादा अट्रैक्शन होता है क्योंकि नैनोशिप में कपल्स के बीच ना इमोशनल और ना ही फिजिकल बॉन्डिंग होती है. यह रिश्ता दिखावे जैसा लगता है. नैनोशिप में लड़का-लड़की को देख लगता है कि वह एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं लेकिन हकीकत इससे विपरीत होती है. इमोशनल बॉन्डिंग ना होने की वजह से भी यह रिश्ता लंबा नहीं चल पाता.

वर्तमान में जीते हैं युवा
हॉलीवुड में एक फिल्म बनी थी ‘नो स्ट्रिंग अटैच्ड’. नैनोशिप कुछ इसी तरह का रिश्ता है जिसमें दिल के तार एक-दूसरे से नहीं जुड़े होते. ऐसे कपल आज में जीते हैं. उन्हें भविष्य में एक-दूसरे का साथ नहीं चाहिए होता. ऐसा रिश्ता पार्टी, ट्रैवलिंग या ट्रेन कहीं भी जुड़ जाता है. वर्तमान समय अच्छा बिताने के बाद कपल ऐसे ही जुदा होते हैं जैसे ट्रेन के बाकी यात्री. ऐसे रिश्ते से ना कोई जुड़ाव होता है और ना ही कोई उम्मीद.

नैनोशिप में कपल्स के बीच कमिटमेंट नहीं होता (Image-Canva)

युवा क्यों नहीं करते कमिटमेंट
आजकल की जनरेशन कमिटमेंट से बचती है. वह आज में जीना पसंद करती है. दरअसल सोशल मीडिया ने उन्हें एक साथ कई लोगों से जुड़ने के कई ऑप्शन दे दिए हैं इसलिए वह किसी से जिंदगी भर साथ जीने का वादा करना पसंद नहीं करते. मनोचिकित्सक प्रियंका श्रीवास्तव के अनुसार युवाओं को अब एक्सपेरिमेंट करना पसंद है. उन्हें किसी एक के साथ रिश्ता निभाना अच्छा नहीं लगता. आजकल 14-15 साल के टीनेजर भी एक से ज्यादा पार्टनर के साथ डेंटिंग में विश्वास करते हैं. ऐसे में लंबे समय तक रिश्ता चलाना उनके लिए बहुत मुश्किल है.

डिप्रेशन की वजह बन रहा है रिलेशनशिप
मनोचिकित्सक प्रियंका श्रीवास्तव कहती हैं कि नैनोशिप, सिचुएशनशिप जैसे नए-नए रिलेशनशिप के ट्रेंड युवाओं के दिमाग पर असर कर रहे हैं. सोशल मीडिया ने उन्हें एग्रेसिव बना दिया है. उन्हें हर चीज जल्दी चाहिए और वह उससे बोर होते हैं तो उसे छोड़ देते हैं. आज के युवाओं में सब्र नहीं है. यही सब चीजें वह अपने रिलेशनशिप से भी चाहते हैं. उनकी लाइफ में जल्दी रिलेशनशिप बनते हैं और जल्दी टूटते हैं क्योंकि वह गंभीर नहीं हैं और  भविष्य के बारे में नहीं सोचते. कोई भी रिलेशनशिप विश्वास और आपसी समझ पर टिका होता है लेकिन नैनोशिप से यह शब्द गायब होते हैं. यही वजह है कि आजकल इन सब रिलेशनशिप की वजह से युवा डिप्रेशन का शिकार होने लगे हैं.

[ad_2]